अल्जाइमर के शिकार दूर ही रहें कॉफी से
सेहतराग टीम
कुछ लोगों के लिए चाय की तरह कॉफी का सेवन भी एक आदत बनती जा रही है। दक्षिण भारत में तो खासतौर पर चाय की बजाय कॉफी के सेवन का चलन ही ज्यादा है मगर अब एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि लंबे समय तक कॉफी पीने से अल्जाइमर से पीड़ित लोगों की समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं।
गौरतलब है कि अल्जाइमर रोग बुजुर्गों में स्मृति से जुड़ी परेशानियों का कारण होता है और इस रोग के शिकारों की याद्दाश्त बेहद कमजोर हो जाती है। भूलने की इस बीमारी को न्यूरो की समस्या भी माना जाता है। इस बीमारी में लोगों में बेचैनी, अवसाद, मतिभ्रम जैसे लक्षण आमतौर पर देखने को मिलते हैं।
हाल के अध्ययनों में मनोभ्रम (डिमेंशिया) को रोकने के लिए कॉफी या कैफीन के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया था। अल्जाइमर भी एक प्रकार का डिमेंशिया ही है। हालांकि इस बात के कोई सबूत नहीं थे कि एक बार संज्ञानात्मक क्षमता विकासित होने के बाद कॉफी में पाए जाने वाले मुख्य तत्व कैफीन के इस्तेमाल का कोई नकारात्मक असर पड़ता है या नहीं।
इस भ्रम से निकलने के लिए स्पेन के ऑटोनोमस यूनिवर्सिटी ऑफ बर्सिलोना और स्वीडन के कैरोलिन्स्का इंस्टिट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने अध्ययन किया। ये अध्ययन चूहों पर किया गया और इसका दिलचस्प नतीजा ये रहा कि कैफीन से स्वस्थ चूहे के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला जबकि अल्जाइमर से पीड़ित चूहों में तंत्रिका- मनोविकार के लक्षण के और गंभीर होने की बात सामने आई।
चूंकि ये शोध चूहों पर किया गया है इसलिए ये साफ कह पाना मुश्किल होगा कि आखिर इंसानों पर कॉफी का असर क्या होगा मगर आमतौर पर ये देखा गया है कि चूहों पर होने वाले असर थोड़ी कमी बेसी के साथ इंसानों में भी देखने में मिलते हैं।
Comments (0)
Facebook Comments (0)